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जानिए पीएम वनबंधु योजना में कितने गांव शामिल है और कितने आदिवासियों को मिला लाभ

Posted on August 23, 2023 - 10:53 am by

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री वनबंधु कल्याण योजना में वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक 261 बिलयन 35 करोड़ 46 लाख रूपये की मंजूरी दी है. जिसमें प्री- मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक, पीवीटीजी का विकास, TRI को सहायता समेत प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना को शामिल किया गया है.

वनबंधु योजना के उद्देश्य

संसद के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य शिक्षा, आजीविका और गांवों के एकीकृत विकास के क्षेत्र में देशभर के आदिवासी समुदायों और आदिवासी क्षेत्रों का विकास करना है. इन विकास तत्वों में शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता, पेयजल, कृषि, पशुपालन, कनेक्टिविटी, कौशल विकास, छात्रवृति, आदिवासी सांस्कृतिक विरासत के प्रचार और संरक्षण आदि से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है.

जहां आदि आदर्श ग्राम योजना में 50 फीसदी आबादी और 500 आबादी वाले 36428 गांवों को चिन्हित किया गया है. जिसमें 4.22 करोड़ आदिवासियों को लाब मिलेगा. प्री-मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति में 9वीं और 10वीं के छात्रों को जिसमें परिवार की आय 2.50 लाख है. आदिवासियों को लाभ मिलेगा, इस योजना में 27 लाख आदिवासियों को कवर किया गया है. इसमें केंद्र सरकार 75 फीसद और राज्य सरकार 25 फीसद अपना योगदान देती है. वहीं उत्तर पूर्वी राज्यों में 90 फीसद केंद्र सरकार और 10 फीसद केंद्र शासित सरकार योगदान देती है. इसके अलावा अंडमान और निकोबार जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में 100 फीसद योगदान देती है.

लोकसभा में राजा अमरेश्वर नायक, सुकांत मजुमदार और जसवंत सिंह भाभोर ने एक संयुक्त सवाल पूछे थे. जिसमें उन्होंने जानना चाहा था कि क्या सरकार ने प्रधानमंत्री वनबंधु कल्याण योजना का विस्तार किया है. जिसमें देश के आदिवासियों का समग्र कल्याण करना है. इस योजना से देश के आदिवासी राज्यवार और जिलावार कितने आदिवासी लाभांवित हुए हैं. इसके अलावा वे यह भी जानना चाह रहे थे कि पिछले तीन साल के दौरान जनजातीय विकास के लिए शुरू की गई अन्य योजनाओं का विवरण क्या है.

जनजातीय कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरूता ने 24 जुलाई 2023 को लोकसभा में जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन में वित्तीय वर्ष 2021-2022 से 2025-26 में केंद्र सरकार ने 1612.27 करोड़ जारी किए है.

वहीं, प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन में वित्तीय वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक तीन सालों के लिए केंद्र सरकार ने 15 हजार करोड़ जारी कराये जाएंगे हैं.

इसके अलावा अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना में राशि 87584.66 करोड़ रूपये से 35 फीसदी बढ़ाकर 117943.73 कर दी गई है.

वनबंधु कल्याण योजना से कितने लोगों को मिला लाभ

संसद द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वनबंधु कल्याण योजना के तहत देशभर के 36 हजार 428 गांवों को शामिल किया गया है. जिसमें 4 करोड़ 22 लाख 39 हजार 236 लोगों को लाभ दिया जाना है.

जिसमें वर्तमान में प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप में वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान देशभर के 14 लाख 16 हजार 913 आदिवासी छात्रों को लाभ दिया गया. वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान 13 लाख 16 हजार 502 आदिवासी छात्रों को लाभ दिया गया.

पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान देशभर के 23 लाख 14 हजार 73 आदिवासी छात्रों को लाभ दिया गया. वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान 23 लाख 20 हजार 811 आदिवासी छात्रों को लाभ दिया गया.

वनबंधु कल्याण योजना में शामिल गांव और जिलों की संख्या राज्यवार

वनबंधु कल्याण योजना में आंध्र प्रदेश के 12 जिलों के 517 गांव के 4 लाख 84 हजार 732 लोगो को लाभ मिलेगा. वहीं अरूणाचल प्रदेश के 12 जिलों के 141 गांवों को शामिल किया गया है. जिसमें 1 लाख 16 हजार 290 लोगों को लाभ मिलेगा. इसके अलावा असम के 22 जिलों के 1700 गांवों को शामिल किया गया है. जिसमें 16 लाख 5 हजार 40 लोगों को लाभ मिलेगा.

बिहार के 10 जिलों के 184 गांवों को शामिल किया गया है. जिसमें 2 लाख 11 हजार 601 लोगों को लाभ दिया जाएगा. वहीं, छत्तीसगढ़ के 18 जिलों के 4029 गांवों के 39 लाख 68 हजार 137 आदिवासियों को लाभ दिया जाएगा. दादरा और नगर हवेली के 53 गांव के 1 लाख 28 हजार लोगों को लाभ मिलना है. दमन और दीव के 2 गांवों के 1807 लोगों को लाभ मिलेगा. इसके अलावा गोवा के दो जिलों के 21 गांवों के 32 हजार 592 लोगों को लाभ मिलेगा.

गुजरात के 16 जिलों के 3764 गांवों के 63 लाख 96 हजार 528 लोगों को, हिमाचल प्रदेश के 7 जिलों के 90 गांव के 64 हजार 140 लोगों को, जम्मू और कश्मीर के 20 जिलों के 302 गांवों के 4 लाख 95 हजार 613 लोगों को, लद्दाख के दो जिलों के 132 गांवों के 1 लाख 51 हजार 300 लोगों को लाभ दिया जाना है.

झारखंड के 23 जिलों के 3891 गांवों के 37 लाख लोगों को, कर्नाटक के 24 जिलों के 507 गांवों के 5 लाख 97 हजार लोगों, केरल के तीन जिलों के 6 गांवों के 26 हजार 682 लोगों को और मध्यप्रदेश के 47 जिलों के 7307 गांवों के 78 लाख 41 हजार से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा.

महाराष्ट्र के 29 जिलों के 3605 गांवों के 42 लाख 95 हजार से अधिक लोगों को, मणिपुर के 6 जिलों के 254 गांवों के 4 लाख 11 हजार से अधिक लोगों को, मेघालय के सात जिलों के 836 गांवों के 7 लाख 98 हजार से अधिक लोगों को और मिजोरम के आठ जिलों के 344 गांवों के 3 लाख 76 हजार से लोग लाभांवित होंगे.

नागालैंड के 11 जिलों के 530 गांवों के 8 लाख 44 हजार लोग, ओडिशा के 24 जिलों के 1653 गांवों के 14 लाख 95 हजार से अधिक लोग, राजस्थान के 27 जिलों के 4302 गांवों के 49 लाख 53 हजार से अधिक लोग और सिक्किम के चार जिलों के 62 गांव के 54 हजार 6 सौ आदिवासियों को लाभ मिलना है.

तमिलनाडु के नौ जिलों के 167 गांवों के 2 लाख 75 हजार लोग, तेलंगाना के नौ जिलों के 533 गांवों के 7 लाख 25 हजार लोग, त्रिपुरा के चार जिलों के 375 गांवों के 8 लाख 21 हजार लोग, उत्तर प्रदेश के आठ जिलों के 183 गांव के 2 लाख 53 हजार लोग, उत्तराखंड के 5 जिलों के 64 गांव के 60 हजार से अधिक लोग और पश्चिम बंगाल के 16 जिलों के 874 गांवों के 10 लाख 49 हजार से अधिक लोग लाभांवित होंगे.

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