छत्तीसगढ़ के नागरिक और सामाजिक संगठनों ने आदिवासी नेता सरजू टेकाम की गिरफ्तारी की निंदा की है. लोकसभा चुनाव के ठीक पहले सरजू टेकाम की हुई गिरफ्तारी पर आदिवासी संगठों ने भाजपा राज्य सरकार की मंशा पर प्रश्न खड़े किये हैं. साथ ही आदिवासी नेता की गिरफ्तारी की वैधता पर भी सवाल उठाए हैं.
आदिवासी संगठनों में छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज, बस्तर जन संघर्ष समन्वयन समिति, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, छत्तीसगढ़ किसान सभा, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्ता समिति), जन मुक्ति मोर्चा छत्तीसगढ़, मूलवासी बचाओ मंच, नगरीय निकाय जनवादी सफ़ाई कामगार यूनियन, जिला किसान संघ राजनादगांव शामिल हैं.
आदिवासी संगठनों ने कड़ी निंदा करते हुए कहा कि, भाजपा राज आने के बाद नक्सली गतिविधियों से निपटने के नाम पर बस्तर में जारी सशस्त्रीकरण की प्रक्रिया तेज हो गई है. उन्होंने आरोप लगते हुए कहा, भाजपा के आने के बाद कॉरपोरेट लूट के खिलाफ लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण और अहिंसक धरनों का नेतृत्व करने वाले कई स्थानीय आदिवासी नेताओं की गिरफ्तारियां हुई हैं.
आदिवासी संगठनों ने बस्तर में चल रहे धरनों का जिक्र करते हुए कहा, पिछले कुछ महीनों में बस्तर में कई स्थानों पर, जहां कई वर्षों से लोकप्रिय और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हो रहे थे, धरनास्थलों को बिना किसी चेतावनी के और अलोकतांत्रिक ढंग से जबरन उखाड़ा गया है, उनके सामुदायिक बर्तनों और अनाज जब्त किया गया है और उनके नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले कर यातनाएं दी है.
संगठनों ने कई अन्य आदिवासी नेताओं की गिरफ़्तारी का जिक्र किया. उन्होंने बताया, 15 अक्तूबर 23 को बेचलपाल धरना कांकेर से मुन्ना ओयाम और मंगेस ओयाम को गिरफ्तार किया गया. माढ़ बचाओ मंच के अध्यक्ष, लखमा कोराम को 09 दिसंबर 2023 को नारायणुपर पुलिस ने गिरफ्तार किया. इस बीच नक्सली-पुलिस मुठभेड़ की जितनी भी घटनाएं सामने आई है, पीडित परिवारों और ग्रामीणों ने सरकार और पुलिस के दावों पर प्रश्न खड़े किए है.
संगठनों ने राज्य सरकार से मांग की है कि बस्तर में माओवादियों के नाम पर निर्दोष आदिवासियों का दमन और फर्जी गिरफ्तारी पर तत्काल रोक लगाई जाए. सभी निर्दोष आदिवासियों की रिहा किया जाए. इसके साथ ही आदिवासी संगठनों ने राज्य सरकार से बस्तर में चल रहे सभी लोकतांत्रिक शांतिपूर्ण आंदोलनों के साथ संवाद स्थापित करने की अपील की.
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