विजय उरांव, ट्राइबल खबर के लिए
बदलते दौर और बाहरी दुनियां से संपर्क के बाद से आदिवासी संस्कृति, परंपराओं और रीति-रिवाजों को बनाए रखना बेहद मुश्किल कामों में से एक है. हालांकि, आदिवासी संस्कृति के लोप होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. संसद ने कहा कि धर्मांतरण के कारण आदिवासी संस्कृति नष्ट नहीं हो रही है.
जनजातीय संस्कृति बचाने के लिए कई योजना
जनजातीय मंत्रालय ने संसद के एक सवाल पर जवाब देते हुए कहा था कि आदिवासी संस्कृति को बचाने के लिए जनजातीय अनुसंधान संस्थान को सहायता, जनजातीय शोध, सूचना शिक्षा, संचार और कार्यक्रम की योजनाएं चला रही है. जिसमें जनजातीय संस्कृति, अभिलेखागार(Archive), कलाकृतियों, रीति-रिवाजों, परंपराओं को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियां की जाती है.
इसको लेकर सांसद गुमान सिंह डामोर ने केंद्रीय जनजाति कार्य मंत्रालय से सवाल पूछे थे, जिसमें उन्होंने जानना चाहा था कि आदिवासी संस्कृति, परंपरा को बचाने के लिए सरकार क्या कर रही है. क्या धर्मांतरण के कारण आदिवासी संस्कृति नष्ट हो रही है. इसके अलावा सांसद ने उन निजी संस्थानों के बारे में जानना चाहा था जो भारतीय संस्कृति के संरक्षण में शामिल है.
आदिवासी संस्कृति बचाने के लिए चलाई जा रही है यह कार्यक्रम
संसद ने जानकारी दी थी कि जनजाति लोगों के वीरतापूर्ण और देशभक्ति कार्यों के लिए 10 जनजातीय स्वतंत्रता संग्राहलय को मंजूरी दी गई है.
मंत्रालय ने डिजिटल भंडार विकसित किया है, जहां 10 हजार से अधिक तश्वीरें और वीडियों का प्रकाशन किया गया है. जिसमें सभी शोध पत्र, किताबें, रिपोर्ट और दास्तावेज, लोक गीत, फोटो/वीडियों शामिल है. जिसे https://repository.tribal.gov.in पर देखा जा सकता है.
संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, नागालैंड में हॉर्नबिल उत्सव, तेलंगाना के मदराम जातारा जैसे राज्य राज्य स्तरीय त्योहारों को टीआरआई के माध्यम से वित्त पोषण किया जाता है.
वहीं ट्राइफेड के माध्यम से राज्यों/जिलों/गांवों में आदिवासी मेलों (Tribal Artisan melas) का आयोजन किया जाता है. जिसमें आदिवासी कलाकारों और नए उत्पादों को पहचान दी जाती है.
राज्यों के नृवंशविज्ञान संग्रालय(Ethnographic Museum) विभिन्न जनजातियों के जीवन और संस्कृति से संबंधित दूर्लभ कलाकृतियों को संरक्षित और प्रदर्शित करते हैं.
जनजातीय अनुसंधान, सूचना, शिक्षा, संचार और कार्यक्रम(TRI-ECE) के तहत प्रतिष्ठित शोध संस्थानों ने अनुसंधान के अंतर को भरने के लिए ऑडियों विजुअल डॉक्यूमेंट्री सहित विभिन्न शोध अध्ययन/पुस्तकों/दास्तावेजीकरण का प्रकाशन शुरू किया गया है.
धर्मांतरण से नष्ट नहीं हो रही है आदिवासी संस्कृति
संस्कृति मंत्रालय जनजातीय संस्कृति सहित संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए नोडल मंत्रालय है.
भारतीय संस्कृति के संरक्षण में शामिल निजी संस्थान के बारें में संसद ने डेटा उपलब्ध न होने की बात कहीं. वहीं, धर्मांतरण के द्वारा आदिवासी संस्कृति नष्ट होने के सवाल पर कहा कि इससे आदिवासी संस्कृति नष्ट नहीं हो रही है.
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