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असम के छह समुदायों को एसटी दर्जे के सवाल पर केंद्र सरकार ने क्या कहा

Posted on August 30, 2023 - 12:17 pm by

विजय उरांव, ट्राइबल खबर के लिए

पूर्वोत्तर क्षेत्र के मणिपुर में मैतेई समुदाय को एसटी सूची शामिल करने की सिफारिश वाले हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य में अनिश्चितता का समय देखने को मिला. इसी के बीच में असम के छह समुदायों को एसटी सूची में शामिल करने को लेकर संसद में सवाल उठाया गया.

असम के छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के सवाल पर सरकार ने लोक सभा में कहा कि असम सरकार ने सिफारिश भेजी है. यह सवाल 24 जुलाई को सांसद प्रद्योत बोरदोलोई ने केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय से पूछा था.

संसद में दी गई जानकारी के अनुसार असम के छह समुदाय (मटक, मारन, ताई अहोम और चुटिया, कोच राजबंशी और चाय जनजाति) को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने के लिए सिफारिश भेजी गई है.

बता दें, चाय जनजाति में पूर्वी भारत से असम में 150 साल पहले बसे जनजातियां शामिल है. इन जनजातियों को पूर्वी भारत में एसटी सूची में शामिल किया गया है. चाय जनजाति में कुल 36 जनजातियों को शामिल किया गया है. इन जनजातियो को अंग्रेजी शासन के दौरान काम के लिए ले जाया गया था. इसमें मुंडा, हो, संथाल, खड़िया और उरांव शामिल है.

इन जनजातियों को अधिसूचित किये जाने और न किए जाने के सवाल पर केंद्रीय जनजातीय मामलों में राज्य मंत्री विश्वेश्वर टुडू ने अपने जवाब में कहा कि कानून में संशोधन के लिए उन्हीं प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा. जिन्हें संबंधित सरकार(राज्य या केंद्र शासित प्रदेश) द्वारा अनुशंसा किया गया है या उचित ठहराया गया है.

वहीं, असम के अन्य जनजातियों के अधिकारों और कोटा को बिना परेशान किए छह समुदायों को एसटी सूची में शामिल करने के सवाल पर कहा गया कि मामला विचाराधीन है या जानकारी एकत्र की जा रही है.

एसटी में शामिल करने मांग पर असम में हिंसा

हाल ही में मणिपुर में 3 मई 2023 को आदिवासी छात्र संगठन के द्वारा जनजातीय एकजुटता मार्च निकाले जाने के बाद मैतेई और कुकियों में हिंसा की स्थिति देखने को मिली. जिसमें मणिपुर की कुकी महिलाओं को नग्न करके परेड कराया गया, जिस पर देश भर के लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की.

लेकिन क्या आप जानते हैं, इसी तरह का मामला असम में भी देखने को मिला था. साल 2007 के 24 नवंबर को शनिवार के दिन असम के बेलतोला (गुवाहाटी) में एसटी सूची में शामिल करने की मांग को लेकर एक शांतिपूर्ण रैली का आयोजन किया गया था. उस रैली पर हिंसक हमला किया गया.

मणिपुर की तरह ही असम में भी आदिवासी युवती लक्ष्मी उरांव को नग्न करके सरेआम बेईज्जत किया गया था. कई महिलाओं को ब्लात्कार का शिकार भी बनाया गया.

तत्कालिन प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल, महिला यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खेद तक भी व्यक्त नहीं किया था और न ही मीडिया तत्कालिन मीडिया ने भी इस मुद्दे को जगह दी. इस मामले में असम हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का रवैया भी नकारात्मक देखने को मिला.

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