लोकसभा चुनाव के पूर्व ही झारखण्ड की राजनीति में खींचतान शुरू हो गयी है. झारखण्ड में दोनों बड़ी पार्टियां एक दूसरे पर आरोप भी लगाने लगे हैं. या फिर यूं कहें कि खुद को सामने वाले से बेहतर दिखने के प्रयास में है. एक तरफ झामुमो भाजपा को पूरी तरह घेरने में लगी हुई है वहीं भाजपा भी विपक्षी पार्टी को नीचा दिखाने का एक भी मौका नहीं छोड़ रही है.
हाल ही में जब कल्पना सोरेन ने ‘इंडिया’ की उलगुलान न्याय रैली के तहत एजेंडों को जैसे ही सार्वजानिक किया वैसे ही भाजपा अलर्ट मोड में आ गयी. भाजपा ने झामुमो की उलगुलान रैली को लेकर हमला बोला है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने टिप्पणी करते हुए कहा कि 21 अप्रैल को एक ही मंच पर भ्रष्टाचारी, सनातन विरोधी, टुकड़े टुकड़े गैंग के लोग और परिवारवादी राजकुमार दिखेंगे.
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने भगवान बिरसा मुंडा के अपमान का भी आरोप लगाया है. प्रतुल शाहदेव ने कहा कि रैली का नाम उलगुलान रखना भगवान बिरसा मुंडा सहित झारखंड के अमर शहीदों का अपमान है. उन्होंने उलगुलान का आह्वान अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ किया था. उलगुलान शब्द आदिवासी अस्मिता से और आदिवासी सम्मान से जुड़ा है.
उन्होंने लोबिन हेम्ब्रोम के द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ, स्थानीय नीति और 1932 की स्थानीय नीति को लागू करने के लिए किए गए उलगुलान का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, जब लोबिन हेम्ब्रोम भ्रष्टाचार के खिलाफ उलगुलान कर रहे थे तब यही झामुमो सरकार छप थी. उन्होंने आगे तंज कसते हुए कहा आगामी चुनाव में जनता इन देश विरोधी और सनातन विरोधियों के खिलाफ ईवीएम से उलगुलान करेगी.
वहीं सरहुल की झांकी में गिरफ्तार किए गए लोगों की वकालत करते हुए झामुमो के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, सरहुल शोभायात्रा में केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध साफ तौर पर देखने को मिला. इससे यह साबित होता है कि केंद्र सरकार की आदिवासी विरोधी नीतियों से आदिवासी समाज में गुस्सा है.
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