मध्य प्रदेश से आए दिन आदिवासियों पर अत्याचार के मामले सामने आते ही रहते हैं. कहीं मारपीट का वीडियो तो कहीं आदिवासियों के खेत और झोपड़ी जला देना. आदिवासियों पर अत्याचार प्रदेश में आम बात हो गयी हो. हाल ही में एक और मामला ढीमरखेड़ा विकासखंड के ग्राम पंचायत मढ़ाना से आयी है, जहां सरपंच द्वारा गरीब आदिवासी किसानों को उनके हक से बेदखल करके उनकी कृषि भूमि पर कब्जा किया गया है.
सरपंच द्वारा हड़पे जाने और परेशान होकर आखिरकार इसकी शिकायत पीड़ित आदिवासियों ने जिला पंचायत सीईओ और जिला कलेक्टर से की है. ग्रामीणों ने साथ ही यह भी आरोप लगाया है की ग्राम पंचायत में चार तलाब स्वीकृत हुए थे लेकिन सरपंच गोविंद प्रताप सिंह ने नालों को बांध कर तलाब बता दिया और करीब पचास लाख रुपए की राशि का गबन कर चुका है.
इतना ही नहीं सरकारी योजनाओं के तहत चार तालाबों का निर्माण कराया गया था, जिनमें से एक तालाब स्वयं गोविंद प्रताप सिंह ने अपनी भूमि पर किया है साथ ही 50 एकड़ भूमि आदिवासियों से जबरन बल पूर्वक हड़पी और तालाब बनवा दिया है. ग्रामीणों ने इसकी भी जांच की मांग की है. आदिवासी गरीब किसानों के लिखित शिकायत पर कार्रवाई करते हुए जिला कलेक्टर ने जांच पत्र जारी कर जबाब मांगा है.
उपरोक्त मामले पर जिला कलेक्टर ने संज्ञान लेते हुए निर्देश देते हुए कहा कि उपरोक्त शिकायत का प्रतिवेदन 15 दिवस के अंदर सहायक निदेशक राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयुक्त को प्रेषित करें. शिकायतकर्ताओं द्वारा ग्राम पंचायत मढाना में आने वाले गांव कुसेरा, शिवराजपुर, डहुली, बड़ी कारीपाथर, विकासखंड ढीमरखेड़ा के सभी निवासी हैं जो आदिवासी गोंड जनजाति के हैं. सरपंच गोविंद प्रताप सिंह ने सन 2016 को सरपंच बनने के बाद आदिवासी गोंड जनजाति के 25 लोगों की कृषि भूमि पर जबरदस्ती कब्जा कर जुताई एवं बुवाई करते आ रहे हैं.
शिकायतकर्ताओं के अनुसार जब उनके द्वारा अपने स्वामित्व की जमीन पर खेती करने की कोशिश की गई तो सरपंच गोविंद प्रताप के द्वारा जान से मारने की धमकी देते हुए भूमि को सरकारी जमीन बताने लगा. जबकि आदिवासियों के पास भूमि स्वामी बही एवं पट्टा भी मौजूद है.
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